गाँधीवाद
रामनाम जपते भाई
रंच न मन में सच्चाई
स्वच्छता के अभियान चले
नहीं सफाई हो पाई
अनगिन पेड़ कटें प्रतिदिन
हुई न पौध की रोपाई
लोग नाम लें ‘बापू’ का
राजनीति अति गरमाई
जाति-पाँति कब भेद मिटे
छुआछूत घर – घर छाई
चरखा-खादी की महिमा
सत्य – अहिंसा ने गाई
गाँवों में ‘बाजार’ घुसा
अब न स्वदेशी सुखदायी
राह देखता अंतिमजन
कहाँ सो गए विषपायी
भारत की छवि कैसी हो
गाँधीवाद ने बतलाई
— गौरीशंकर वैश्य विनम्र