कविता

जल बिन नहीं रहेगा कल

जल है तो कल है,
जल जीवन है, बल है,
जल-बिना जीवन सूना,
यह बात अटल-प्रबल है।

जल की बूंद-बूंद अनमोल,
देती जीवन में रस घोल,
जल के लिए जब पड़ा तरसना,
तब जानेंगे इसका मोल।

बूंद-बूंद को हमें सहेजना,
ताल-तलैया सूखने न देना,
व्यर्थ किया जो जल की बूंद को,
बचा न पाएंगे जीवन अपना।

जल बिन जीवन आज नहीं है,
जल बिन नहीं रहेगा कल,
जल से ही सब काम हैं संभव,
जल ही है जीवन का संबल।

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244