कविता

मेरा इतिहास लिखोगे

अच्छा है जो आप कर रहेआत्ममुग्ध जब आज हो रहे,सच है कोई नहीं गुनाह कर रहेजब आज मेरा परिहास लिख रहे।इसे निरंतर जारी रखनापथ से विचलित कभी न होना,सचमुच अच्छा काम रहे,डर से भी तुम नहीं डर रहे।नियति तुम्हारी नहीं ग़लत हैन ही तुम्हारा मन कुंठित है,सतत सदा तुम चलते रहनाबड़ा काम तुमको है करना।भले आज परिहास कर रहेफिर भी मेरा नाम कर रहे,मुफ्त मेरा प्रचार कर रहेतनिक नहीं तुम झिझक रहे।निश्चित है कुछ बड़ा करोगेकेवल तुम ही ये काम करोगे,कोई माने या न मानेकल तुम ही मेरा इतिहास लिखोगे।

*सुधीर श्रीवास्तव

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