रक्तदान सहयोग
रक्त की आवश्यकता की किसी भी पोस्ट या सूचना देखने के बाद संकेत उसको अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और रक्तमंडली ग्रुप और कुछेक संबंधित लोगों को सारे काम छोड़कर तुरंत ऐसी सूचनाएं आगे बढ़ाता आ रहा है। एक दो बार कुछ लोगों ने इसका कारण जानना चाहा,तो कुछ लोगों ने इसका मजाक भी बनाया कि खुद तो कभी अपना एक बूंद रक्त किसी को देता नहीं और खुद को रक्तवीर दिखाने का ढोंग करता है। लेकिन इन सबसे बेखबर संकेत इसे नैतिक जिम्मेदारी मानकर ईश्वर का आदेश मान अपना कर्तव्य निभाता चला आ रहा और लोगों से भी यही अपील करता रहता है। उसके इस जूनून का परिणाम तो उसे नहीं पता चलता, लेकिन जब पहली बार उसने यह प्रयास किया था, तब दो दिन बाद संबंधित व्यक्ति का “आपकी की सूचना के आधार पर एक एन जी ओ द्वारा समय से रक्त की व्यवस्था करने से मेरे बच्चे की जान बच गई”। इसके लिए आपका बहुत बहुत आभार धन्यवाद। बाद में पता चला कि संबंधित बच्चा संकेत के शहर से लगभग 1700 किमी. दूर था। तब से संकेत को इसका जुनून सा हो गया। जिससे उसे बड़ा सूकून भी मिलता है। संकेत की यह यात्रा इस विश्वास के साथ निर्बाध जारी है कि उसका एक छोटा सा प्रयास शायद किसी की जान बचाने में सहायक हो सके। उसके विश्वास का प्रतिफल भी जब तब मिल ही जाता है, जब किसी का परिजन, कोई व्यक्ति, संस्था इस सूचना के सकारात्मक परिणाम की जानकारी आभार धन्यवाद के साथ देता है। तभी तो संकेत कहता है कि हमारा एक छोटा सा प्रयास किसी के मां, बाप, भाई, बहन, मित्र, शुभचिंतक की जान बचाने में सहायक हो सकता है। कोई बच्चा अनाथ होने से बच सकता है। किसी के घर आंगन की खुशियां लौट सकती हैं।वो भी तब जब हम संबंधित व्यक्ति को जानते पहचानते तक नहीं, और चाहकर भी हम समय से उस तक पहुंच भी नहीं सकते हैं। लेकिन इस प्रयास से भी रक्तदान में सहयोगी भूमिका तो अदाकर ही सकते हैं। बस जरूरत है थोड़े से प्रयास और कुछ मिनट समय की। इतने भर से हमें जो आत्मिक सूकून का बोध होता है, उससे हमारे प्रयासों की संभलता का भी संकेत मिलता है। जरुरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन यह भी निश्चित है कि हर बार हम असफल भी नहीं होंगे। यही हमारी उपलब्धि है। जो लोग संकेत को जानते हैं वे रक्त आवश्यकता संबंधी सूचना उस तक भेजकर आगे बढ़ाने का आग्रह जब करते हैं,तब उन्हें इसका विश्वास होता है और इसके अधिसंख्य परिणाम सफलता के रुप में प्राप्त भी होते हैं। ऐसे में हम सब भी इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लें तो निश्चित ही कोई व्यक्ति, या स्वयं सेवी संगठन, रक्त समूह द्वारा मदद के रास्ते जरुर खुल जायेंगे और एक जीवन बचा सकेगा।
— बासुदेव अग्रवाल