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मीडिया का वैश्विक परिदृश्य

वर्तमान परिवेश में संसार का कोई कोना ऐसा नहीं है जहाँ मीडिया की पहुंच न हो। साथ ही आधुनिकता और तकनीक के तेजी से विकास की ओट में मीडिया का नित नया स्वरूप सामने आ रहा है। जिसे समय की महती जरुरत भी कहा जाना चाहिए। त्वरित और तेजी से समाचारों, घटनाओं को आम जनमानस तक पहुंचाने की होड़ से इसके साथ ही कदमताल करना हर किसी की जरूरत है। इसे यदि आप इस तरह मानते हैं कि एक आम आदमी को इससे क्या फर्क पड़ता है? कुछ भी नहीं। तो निश्चित ही आप मुगालते में हैं, और आपको राष्ट्र समाज की बात छोड़िए, खुद से भी कोई मतलब नहीं है। दुनिया के किसी भी क्षेत्र की घटना, दुर्घटना, आपदा, आपात सूचना, अथवा अन्य सूचना या संदेश हमारे आपके के लिए तो निरर्थक हो सकता है। लेकिन हर एक के लिए भी ऐसा हो,यह असंभव है। आज मीडिया के कारण ही हम हजारों किलोमीटर दूर हो रही घटनाओं, दुर्घटनाओं, कार्यवाही, युद्ध, तकनीक का सीधा प्रसारण देख,सुन पा रहे हैं। मीडिया के कारण ही सरकारें बहुत बार देश के विरुद्ध विदेशी षड्यंत्रों, भीतरघात की जानकारी पाती हैं। ऐसा भी होता है कि मीडिया की सोच और प्रमाण सरकारों को नीति परिवर्तन और नींद से जगाने का भी काम करती है। वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के बीच अच्छे पारस्परिक संबंधों की कड़ी अथवा गलत खबरों से मतभेद तक करा देते हैं। ऐसा में मीडिया की वैश्विक जरुरत, तालमेल, अपने सूत्र से मुंह मोड़कर नहीं रहा जा सकता और न ही मीडिया को किसी भी स्तर पर नजर अंदाज करने की भूल ही की जा सकती है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921

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