कब होगा वार
पानी पर पुल बना और
पुल पानी में चलता बना।
सोच रहा हूँ तिल-तिल
कितना हारेगा बिहार,
पुल-पुलिया से ज़ार-ज़ार।
कमीशनखोरी के जाल में,
फ़स जाता हैं बार-बार।
अररिया के दरिया में,
सुशासन करता रार-रार।
बकरा नदी भी कह रही,
इकतीस करोड़ तार-तार।
यारों हो गई अब तो अति,
लापरवाही और भ्रष्टाचारियों पर
न जाने कब होगा वार-वार।
— संजय एम. तराणेकर