लघुकथा

मंत्र का जादू

बात लगभग 65 साल पहले की है. मैं छोटी-सी बच्ची थी. मेरी एक सहेली ने हारमोनियम सीखने का मन बनाया. सिखाने वाली एक बुज़ुर्ग अध्यापिका श्रीमती सुखवर्षा थीं. हमें रोज़ गुरुवाणी का एक शबद बजाना सिखाया जाता था. जन्मजात प्रतिभा थी या सीखने का जुनून! बाकी सबको एक-एक शबद में तीन-चार दिन लग जाते थे, मैंने दस दिनों में दस शबद सीख लिए और खुद भी धुन निकालने लग गई.
मैंने अपना रियाज़ जारी रखा और काफी कुछ सीखती-सिखाती रही. लगभग 50 साल बाद मेरी एक सखी ने अपने घर पाठ में मुझे गुरुवाणी का शबद पढ़ने को कहा. धीरे-धीरे अभ्यास छूट जाने के कारण मैं हिचक रही थी. मेरी उस सखी अनिता अरोड़ा ने एक मंत्र दिया- “हुनर कभी बूढ़ा नहीं होता.”
सचमुच मेरा हुनर जवान हो गया था. बड़े-बड़े विद्वानों ने उसे सराहा. यह मंत्र का जादू ही तो था!

— लीला तिवानी

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244