सरप्राइज जन्मदिन-केक
स्नेहा का जन्मदिन था, उसने बड़े स्नेह से आमंत्रित भी किया था. तैयार होकर अनु निकलने को हुई तो बारिश शुरु हो गई. छतरी लेकर वह निकल पड़ी.
“बारिश का सुहाना मौसम, जन्मदिन का शुभ अवसर, स्नेहा के हाथ के स्वादिष्ट गरमागरम सिंधी पकौड़े, अदरक-दालचीनी वाली चाय की सोंधी-सोंधी खुशबू! मजा आ जाएगा.” अनु खुद से ज्यादा अपने बनाए केक को संभालती हुई कार तक पहुंची कि बिजली कड़कने लगी.
बिजुरिया कड़के या जियरवा धड़के, अनु को क्या! उसे सखी का जन्मदिन जो मनाना था!
वहां पहुंची तो समोसा-चाट, नमकीन, मिठाई, पकौड़ों-चाय-चटनी की महक के साथ सखियों का जमावड़ा देखकर वह हैरान रह गई.
असल में स्नेहा ने सबको यह कहकर सरप्राइज दिया था कि सिर्फ तुम्हें ही आमंत्रित कर रही हूं.
स्वभावतः जितनी सखियां थीं, उतने सरप्राइज जन्मदिन-केक भी सबके साथ खुशियां मना रहे थे.
— लीला तिवानी