कहानी

कैसा प्यार?

रोते-रोते नेहा का बुरा हाल था। वह स्वयं भी नहीं समझ पा रही थी कि आज उसे इतना रोना क्यों आ रहा है? समस्याएँ तो वह बचपन से ही झेल रही है और वह भी प्यार के नाम पर! आज फिर उसके पति ने उसे प्यार करने का हवाला देकर उलाहना दिया था। वह प्यार के नाम पर शोषण सहन करते-करते जीवन से हार गई थी। जीवन भर की पीड़ा आज उसकी आँखों से झर रही थी।
माँ-बाप उसको प्यार करते थे। इसीलिए चकरघिन्नी बनकर बचपन से ही काम करती रही थी। भाई! उसको प्यार करता था। अतः उसने भाई की पढ़ाई के लिए अपनी पढ़ाई को तिलांजलि दे दी। आखिर भाई को प्रेम जो करती थी। यदि वह भी पढ़ने की जिद करती तो घर का काम कौन देखता?
माता-पिता उससे प्रेम करते थे। इसलिए उन्होंने नेहा के प्रेमी को स्वीकार नहीं किया। उस पर मानसिक दवाब बनाते हुए, उसे अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ने को मजबूर कर दिया। माता-पिता ने अपने प्रेम और इज्जत का हवाला देकर अपनी से दुगनी उम्र के व्यक्ति से उसकी शादी कर दी। जो उसे मन तो क्या? तन से भी सुख नहीं दे सका। धन तो वह कर्ज लेकर शादी के लिए उसके प्यारे बाप को दे चुका था। उस प्यार करने वाले तथाकथित पति के घर में, जहाँ सुख तो क्या? उसे दुःखी होने का भी अधिकार नहीं था।
बात-बात पर वह तथाकथित पति अपने प्रेम का हवाला देकर पिटाई करता था। उसे उसकी सास व जेठानी समझातीं कि वह उसे कितना प्यार करता है! जो प्यार करता है, वह मारता भी है तो सह लेना चाहिए।
पति के उस तथाकथित प्यार के लिए उसे घरेलू नौकरानी का काम करना पड़ा। पति की शराब की लत की कीमत जो चुकानी थी। आखिर प्रेम करता था। अतः शराब के लिए पैसे भी नेहा को ही जुटाने थे और शराब पीकर उसके द्वारा दी जाने वाली गाँलियों को सुनना और मार खाना भी प्यार की निशानी थीं।
काम से आते जाते रास्ते में मिल जाने वाले युवक पप्पू ने भी उसके सामने कई बार प्रेम प्रस्ताव रखा था। वह भी कहता था कि वह उसे प्रेम करता है और वह उसके साथ चले तो वह उसे रानी बनाकर रखेगा। नेहा का प्रेम से पेट भर चुका था। अतः उसने उसको इंकार कर दिया।
उसने पप्पू के प्यार को अस्वीकार कर दिया तो उसने उसके चेहरे पर एसिड फेंक कर जलाना चाहा। वह तो संयोग ही था कि वह उसी समय झुक गई थी और उसका चेहरा बच गया। अस्पताल में डॉक्टर ने दया करके उसका इलाज कर दिया और उसे अधिक नुकसान नहीं हुआ।
नेहा की समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसा प्यार है? भाई प्यार करता था, इसलिए नेहा को पढ़ाई छोड़नी पढ़ी। माँ-बाप प्यार करते थे। इस कारण बचपन से ही काम में जुटी रही। माँ-बाप का यह कैसा प्यार था? जिसके साथ वह सुखी रह सकती थी। जिसको वह प्यार करती थी। उसके साथ शादी नहीं कर सकती। यदि वह ऐसा करती तो मार दी जाती, क्योंकि परिवार उसे अटूट प्यार करता था और वह उसे उसकी मर्जी से शादी करने नहीें दे सकता था। भले ही उसे सम्मान के नाम पर मारना पड़े। पति प्यार करता था। इसलिए मारता था। पप्पू प्यार करता था। इसलिए उसे एसिड डालकार जलाने का हक है।
नेहा की समझ नहीं आ रहा था कि दुनिया में यह कैसा प्यार है कि उसे जीने की अनुमति नहीं देता। रोते-रोते नेहा के आसूँ सुख चुके थे। उसे कब नींद आ गई। उसे पता ही नहीं चला। सुबह जब उठी तो तरो-ताजा अनुभव कर रही थी। उसने रात को ही निर्णय कर लिया था कि अब उसे प्यार नहीं चाहिए। जीवन चाहिए। भले ही उसे लोग नफरत की नजरों से देखें किन्तु वह प्यार की अपेक्षा नहीं करेगी। वह लोगों की नजरों में अच्छा बनने के प्रयत्न नहीं करेगी। वह सिर्फ अपनी नजरों में अच्छी बनकर जीएगी। अपना जीवन अपनी सुविधा से अपने आपको प्यार करते हुए जिएगी। यही नहीं वह दुसरों से प्यार की किसी भी प्रकार की अपेक्षा किए बिना सबको प्यार बाँटने का प्रयास करेगी।

डॉ. संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमी

जवाहर नवोदय विद्यालय, मुरादाबाद , में प्राचार्य के रूप में कार्यरत। दस पुस्तकें प्रकाशित। rashtrapremi.com, www.rashtrapremi.in मेरी ई-बुक चिंता छोड़ो-सुख से नाता जोड़ो शिक्षक बनें-जग गढ़ें(करियर केन्द्रित मार्गदर्शिका) आधुनिक संदर्भ में(निबन्ध संग्रह) पापा, मैं तुम्हारे पास आऊंगा प्रेरणा से पराजिता तक(कहानी संग्रह) सफ़लता का राज़ समय की एजेंसी दोहा सहस्रावली(1111 दोहे) बता देंगे जमाने को(काव्य संग्रह) मौत से जिजीविषा तक(काव्य संग्रह) समर्पण(काव्य संग्रह)