कविता

कविता – बारिश की खुशबू

खिलेंगी धूप तो बादलों से रूबरू होना होगा,
बारिश फिर तेरी,
मोहब्बत नामा का नाम,
दामन पर सजाना होगा।

बेरहम चेहरा आज़,
सुकून पाएंगी।
उम्मीदों पर खरा उतरने में,
कामयाबी नज़र आएंगी।

तड़पती दोपहरी में बहुत तकलीफें,
झेलते हुए,
रंग झुलसाती रहा हूं मैं।
आज़ मीठी सी गुदगुदी है,
उमंग और उत्साह से भरपूर,
रंग में चढ़ गया हूं मैं।

चंचल सोख अदाएं,
तसल्ली देने लगी है।
गर्म हवाएं अब रूखसत हो गई है।

मुरझाए हुए चेहरे पर,
खुशियां समेटने का एक अजब रंग है।
यह हमारे अतीत से,
बिल्कुल विपरीत नर्म और उत्साह से भरपूर ढंग है।

आसमां में हम उम्मीद करते हुए,
खूबसूरत तस्वीरें खोजते हैं।
बारिश की खुशबू को,
अपने दिल में समेटते हुए,
आनन्द और प्रसन्नता से,
झुमते रहें हैं।

हमें अक्सर गर्म हवाएं परेशान करतीं हैं,
बारिश से निकली हुई आवाज में,
दम-खम का नवीन इतिहास ढूंढती है।

— डॉ- अशोक, पटना

डॉ. अशोक कुमार शर्मा

पिता: स्व ० यू ०आर० शर्मा माता: स्व ० सहोदर देवी जन्म तिथि: ०७.०५.१९६० जन्मस्थान: जमशेदपुर शिक्षा: पीएचडी सम्प्रति: सेवानिवृत्त पदाधिकारी प्रकाशित कृतियां: क्षितिज - लघुकथा संग्रह, गुलदस्ता - लघुकथा संग्रह, गुलमोहर - लघुकथा संग्रह, शेफालिका - लघुकथा संग्रह, रजनीगंधा - लघुकथा संग्रह कालमेघ - लघुकथा संग्रह कुमुदिनी - लघुकथा संग्रह [ अन्तिम चरण में ] पक्षियों की एकता की शक्ति - बाल कहानी, चिंटू लोमड़ी की चालाकी - बाल कहानी, रियान कौआ की झूठी चाल - बाल कहानी, खरगोश की बुद्धिमत्ता ने शेर को सीख दी , बाल लघुकथाएं, सम्मान और पुरस्कार: काव्य गौरव सम्मान, साहित्य सेवा सम्मान, कविवर गोपाल सिंह नेपाली काव्य शिरोमणि अवार्ड, पत्राचार सम्पूर्ण: ४०१, ओम् निलय एपार्टमेंट, खेतान लेन, वेस्ट बोरिंग केनाल रोड, पटना -८००००१, बिहार। दूरभाष: ०६१२-२५५७३४७ ९००६२३८७७७ ईमेल - [email protected]