कविता – रिमझिम बारिश
तेरे आने से सबको आज़,
खुशियों संग सुकून मिला,
अहसास हुआ,
बारिश तेरी है याद खूब आतीं,
हम-सब को सुखद अनुभव पाने का,
उन्नत एक आभास हुआ।
खुशियां समेटने में लगे हैं लोग,
तेरे आने की खुशियां पाकर।
उत्तेजना और उत्साह से भरपूर,
मन ही मन खुश हो रहा है,
तन मन में यह उत्साह समा कर।
आज़ सम्मान और पुरस्कार है जैसे ,
सब लोग कहते हैं एक उपहार।
जिंदगी आज़ आसान बन गया,
आपका यह आभार है स्वीकार।
समस्त दिशाएं हैं खुशियां संग,
सबमें दिखता है विश्वास का रंग।
आनन्द और प्रसन्नता से,
चर्चा में है बस रंग- विरंग।
आकाश है उन्नत खोज है सुन्दर,
प्रकृति ने हमें दिया एक आभार।
दुनिया भर में चर्चित है बारिश की बुंदे,
सब चाहते हैं इनका प्यार।
समग्र विकास और सुकून से लबालब भर,
यह देती है बड़ी सी गुदगुदी।
जगत संसार में शामिल होकर,
लातीं है-यह ख़ूब सुख -समृद्धि।
रिमझिम बारिश तेरी याद में,
हर्षित हो रहा है यह संसार।
आगे बढ़ने में इन्सानियत को,
मिल रहीं हैं तुमसे खूब प्यार।
— डॉ. अशोक, पटना