कविता

श्री जगन्नाथ रथयात्रा

बारिश का जोर है,मौसम खराब है
पर सड़कों पर, उमड़ा सैलाब है
भगवान श्री जगन्नाथ, की रथयात्रा
के दर्शन को, जन-जन बेताब है।।

अहमदाबाद हो, या जगन्नाथ पुरी
दर्शनार्थियों की, भारी भीड़ है
एक झलक पाने, को हैं सब आतुर
सुनता नही मन,अतिशय अधीर है

बहन सुभद्रा और, बलदाऊ संग
जगन्नाथ प्रभु हैं, रथ में विराजे
ढोल, नगाड़ों की थाप, मधुर सुन
पग सहसा ही, थिरकन लागे।

उत्साह, उमंग से, सब भरपूर हैं
रथयात्रा विश्व ,भर में, मशहूर है
जगह-जगह पर, पंडाल सजे हैं
चौतरफा बस, नूर ही नूर है।।

महिलाएं, बच्चे, युवा, बुजुर्ग जन
रथ हांकने को, हैं सब लालायित
आस्था, विश्वास, में रंगे हैं सारे
सुंदर रथ में, हैं प्रभुजी सुसज्जित।

दर्शन देने प्रभु, निज गृह से निकले
मौका सुनहरा है, दामन भर लें
शहर-शहर खुद, वह पहुंच रहे हैं
चलो हम भी अपने, घर से निकलें

सात-आठ दिन, पलावा में रहेंगे
धार्मिक वातावरण, कायम करेंगे
उत्सव, आयोजनों का, ज़ोर रहेगा
मनोकामनाएं सब, पूर्ण करेंगे ।।

सबके नाथ श्री, जगन्नाथ स्वामी
परम परमेश्वर, एवं अन्तर्यामी
पूरी करते प्रभु, सबकी आशाएं
मिटाते सब दुःख, सारी बाधाएं।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई