लेखक का मन
लेखक का मन बहुत कोमल होता है
उसको समझना थोड़ा मुश्किल होता है
सच को वो सबके सामने लाता है
सही गलत को भी बताता है
जहाँ हम सोचना नहीं चाहते है
लेखक की सोच वही से शुरू होती है
कल्पनाओं को वह व्यक्त करता है
मानव के विचार लेखनी से लिखता है
समाज और देश को सच्चाई दिखाता है
अच्छे विचार से नई राह दिखाता है
हर जगह उसकी निगाहें होती है
लेखक के मन को कोई नहीं पढ़ पाता है.
— पूनम गुप्ता