ग़ज़ल
उस ग़रीब की लाचारी लिख
हर उसकी तू बीमारी लिख
बैठा रहता दिन भर खाली
उस आदमी की मक्कारी लिख
दौड़ में रहा सबसे आगे
फिर बाजी कैसे हारी लिख
जिसका खाता देता धोखा
उस आदमी की गद्दारी लिख
न दे दखल रमेश किसी को
उसकी तो दुनियादारी लिख
— रमेश मनोहरा
उस ग़रीब की लाचारी लिख
हर उसकी तू बीमारी लिख
बैठा रहता दिन भर खाली
उस आदमी की मक्कारी लिख
दौड़ में रहा सबसे आगे
फिर बाजी कैसे हारी लिख
जिसका खाता देता धोखा
उस आदमी की गद्दारी लिख
न दे दखल रमेश किसी को
उसकी तो दुनियादारी लिख
— रमेश मनोहरा