कविता

आभार धन्यवाद

आँखें नम है मन भावुक हो रहा है, आप सबकी शुभकामना, बधाइयों सेआनंद के उल्लास मन में झूम रहा है,मन मगन गदगद हो रहा इतना कि जो कहना था वो सब गुम हो रहा है।सच कहूं तो मैं अलग थलग होता जा रहा थाआसपास अंधकार का वातावरण दिख रहा था।पर अचानक क्या से क्या होता गयाआप सबके साथ सारा जहान मिल गया।हर रिश्ता, रिश्तों का प्यार दुलार आशीर्वादस्नेह संग लाड़ प्यार और अधिकार मिल रहा।छोटे बड़े भाई बहनों का अद्भुत लाड़ प्यार मन में अनंत अथाह हिलोरें भर रहा है।अंजाने हर रिश्ते जाने पहचाने से लग रहे हैंलड़ने झगड़ने के साथ मुस्कराने के पल भी आते हैंबहन बेटियों की जिद के आगे सिर झुकाने भी पड़ते हैं।शायद ये ईश्वर की इच्छा, मां शारदे की कृपा हैनीरस पथ पर अग्रसर जीवन में इतना जो बदलाव है।आप सभी की असीम दुआओं का ही तो ये असर हैमेरे सुरक्षा स्वास्थ्य का बना ये जो आवरण हैआप सभी को यथोचित नमन वंदन प्रणाम मेरा है,आप सभी के आशीषों का प्रतिफल मेरा ये जीवन है।न कोई गम न कोई चिंता अब तनिक होती मुझेक्योंकि! आज ये जिम्मेदारी तो आप सभी ने आगे बढ़कर अपने ऊपर ओढ़ ली है।ईश्वर से कामना है मिलता रहे आप सभी का प्यार दुलारचलता रहे अविराम मेरे जीवन की खुशियों का संसारकरता सुधीर आप सबको हाथ जोड़ प्रणाम नमस्कारजिसे आज भी कीजिए ससम्मान दिल से स्वीकारदेते रहिए मुझे अनवरत स्नेह, प्यार दुलार और अधिकार।

*सुधीर श्रीवास्तव

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