पौधे मां के नाम लगाओ
माह जुलाई मन को भाया
देखो अब चौमासा आया
मौसम ने अब ली अंगड़ाई
मंद महक सौंधी है भाई
कोयल छुपकर समय बिताए
बादल काले मोर नचाए
मेंढक भी अब बोल रहे हैं
मीठे फल रस घोल रहे हैं
बागों में हरियाली छाई
आमों का रस लगे सुहाई
आया केला स्वाद मिठाई
भागा तरबुज जामुन आई
होरी धनिया खेत जुताई
देख अषाढ़ी करे बुवाई
चतुर्मास भक्ति की धारा
भाव भजन होयें भंडारा
ठंडी हवा चले पुरवाई
बिजली चमके वर्षा आई
छोड़ो आलस करो पढाई
मन को भाता मास जुलाई
मां शारद को शीश नवाओ
ज्ञान दीप की जोत जलाओ
प्रातः जल्दी उठना भाई
मात पिता गुरु माथ नमाई
पुस्तक ले लो स्कूल जाई
गुरु का वंदन करो पढ़ाई
घर आंगन इस्कूल बनाओ
नक्शा कापी पेन मंगाओ
घर घर जाके अलख जगाओ
पौधे मां के नाम लगाओ
— डॉ. दशरथ मसानिया