महपुरुषों को जानिए,भारत देश महान। पुण्य जनम सुमिरण करें,राखें तारिख ध्यान।। जनवरी एक बड़ सुखदाई । नये साल का स्वागत भाई।।1 जनम विवेका बारह आता। युवा दिवस सब देश मनाता।।2 चौदह मकर संक्राति आये। तिलगुड़ मीठा घर घर खायें।। 3 तेइस को नेताजी आते। चौबिस बेटी दिवस मनाते।।4 छब्बिस को गणतंत्र मनाओ। देश प्रेम झंडा […]
Author: डॉ. दशरथ कुमार गवली 'मसानिया'
व्याख्याता (संस्कृत) *संस्था* :शा.उत्कृष्टउ.मा.वि आगर, जि. आगर-मालवा *शिक्षा :* एम.ए.(संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी), पीएच.डी.
*व्या.शिक्षा* बी.एड.,अनुस्थापन पाठ्य.सीसीआरटी, दिल्ली : *प्रशिक्षक* : सन् 1997 से जिला एवं राज्यस्तरीय शिक्षक प्रशिक्षक
*आकाशवाणी* : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से सन् 2006 से समय-समय पर साहित्यिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम प्रसारित प्रकाशन : राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रिय इलेक्ट्रानिक तथा प्रिंटिंग पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन
*सम्पादन* : ग्वाल महिमा (14 वर्ष), मुक्त अधर के गान,
*क्र नाम पुस्तक प्रकाशन वर्ष*
*1* . बैजनाथ महिमा ( ऐतिहासिक शोध) 2000
*2* .मेक इंग्लिश इजि़यर ( अंग्रेजी शोध नवाचार)2005
*3* .मालवी केवातां ( कहावत संग्रह) 2005
*4* . हमारे प्रेरणा स्रोत (जीवनी संग्रह) 2006
*5* . कबीर भजनामृत (मालवी लोक भजन) 2006
*6* . भाषा सूत्र (संस्कृत व्याकरण सार) 2009
*7* . अंग्रेजी चालीसा (गीतिकाव्य) 2011
*8* . व्याकरण पच्चीसा ( व्याकरण नवाचार) 2011
*9* . बेटी चिरैया (काव्य संग्रह) 2012
*10.* थाने बेटी मारी पेट में (काव्य संग्रह) 2013
*11.* बेटियों ने शंख बजाया(लघुकथा संग्रह) 2014
*12.* बाईस दिस को गणित दिन (गणित नवाचार) 2014
*13.* हिन्दी शतक (हिन्दी शिक्षण) 2014
*14* . हिन्दी त्रिवेणी (हिन्दी शिक्षण) 2015
*15* . बेटी बुधिया मर गई (काव्य संग्रह) 2015
*16* .कहत हैं कवि मसान (काव्य संग्रह) 2016
*17* .हिन्दी दोहावली (हिन्दी शिक्षण)
*18.* गणित ज्ञान को गाइये (गायन नवाचार) 2017
*19.* हिन्दी के पांच अध्याय (हिन्दी शिक्षण) 2019
*20* .चालीसा गायन नवाचार (काव्य संग्रह) 2021
*अप्रकाशित* : मालवी एवं ब्रज लोकगीतों में कृष्ण कथा-2004(पी-एच.डी.शोधग्रंथ) *सम्मान* : म.प्र.शासन द्वारा आचार्य सम्मान-2007 तथा राज्यपाल पुरस्कार -2019
देश भर में 100 से अधिक सम्मान
*दायित्व* : अध्यक्ष, कबीर कलासाहित्य समिति, आगर (रजि.)
*सम्पर्क* : 123, गवलीपुरा, आगर, जिला-आगर मालवा (म.प्र.)
M-9424001406
मैं मजदूर हूं
मैं जग का हूं मजदूर,कष्ट सहूं दिन रात। हाथों में छाले पड़े, टूट रही है गात।।१ बच्चे रोते दूध को,मिलती नाही चाय। रइसों के कुत्ते भले,बैठ जलेबी खाय।।२ कारों में भी घूमते, करें नगर की सैर। गरीबों को दुत्कारते, मजदूरों से बैर।।३ पत्नी रोई रात भर, मुन्ना है बीमार। इलाज के पैसे नहीं,किससे करें उधार।।४ […]