कविता

स्वामी विवेकानंद चालीसा

युवकों की तुम आश हो, वृद्धों की पतवार।
मानवता के सारथी, दुख के तारणहार।।
जय जय ज्ञान विवेकानंदा।
दीन दुखी के हो तुम संता।।1
सन अट्ठारह त्रैसठ आया।
भुवनेश्वरी ने लाला जाया।2
खुशियां छाई बजी बधाई।
बंगाली बहने सब आईं।।3
घर आंगन में चौक पुराये।
सखियां मंगल गीत सुनायें।।4
विश्वनाथ मन में हरषाये।
नामकरणहित ज्योतिषआये।।5
पंडित नाम नरेंद्र बताये।
बुद्धि विवेक सभी हरषाये।।6
शाला में जब पढ़ने जाते।
तेज बुद्धि से धाक जमाते।।7
रामकृष्ण ने तुमको पाया।
जीवन अपना धन्य बनाया।।8
खुशियों के जब आंसू आये।।
गुरु ने तुमको गले लगाये।9
कलकत्ता की काली माई।
गुरु देव ने ईष्ट बनाई।।10
शिष्य विवेका भये अनंदा
स्वामी छोड़ें माया फंदा।।11
ज्ञान धरम की बात बताई।
कूड़ा करकट दूर हटाई।।12
धरम सनातन को अपनाया।
गीता का उपदेश सुनाया।।13
धरम परायण ज्ञानी संता।
कुरीति का तो कीना अंता।14
ग्यारह सितम तराणू आई।
विश्व धरम सम्मेलन जाई।।15
शहर शिकागो धरमा मेला।
संत समागम लगा झमेला।।16
सब धर्मों के मुखिया आये।
स्वामी जी भी शंख बजाये।।17
सब ने अपनी बात सुनाई।
निज धरमों की करी बड़ाई।।18
अंत समय थोड़ा ठहराया।
भगवा साधू मंच बुलाया।।19
हाथ जोड़ कर माथा नामा।
सब श्रोतन को किया प्रणामा।20
भाई बहनों ! कह संबोधन।
गरजी ताली दे उद्बोधन।।21
सब धर्मों का सार सुनाया।
गीता को आधार बताया।।22
शून्यविषय का कर उल्लेखा।
बीजक गीता वेद विशेषा।24
योग करम का पाठ पढ़ाया।
मानवता का मान बढ़ाया।25
सब नदियां सागर मिल जाती।
सभी धरम मह ज्योति मिलाती।26
पश्चिम देशों में अभिनंदन।
करते भारत मां का वंदन।।27
विश्व गुरु की छवी बनाई।
अध्यातम की अलख जलाई।।28
निवेदिता को शिष्य बनाया।
भगिनी दर्जा उन्हें दिलाया।।29
छोड़ देश को भारत आई।
सेवा करके श्रद्धा पाई।।30
रामकृष्ण गुरु मिशन बनाया।
मानव सेवा धरम चलाया।।31
बाल वृद्ध सब सुनते वाणी।
मोहित होते मुनी विज्ञानी।।32
प्रबद्ध भारत औ उदबोधन।
दोनो पत्र वेदन शोधन।33
उच्च चरित्रा ब्रह्मा चारी।
सह विज्ञाना धरम विचारी।।34
कन्याकुमारि शिला सुहाया।
जहां गुरु ने ध्यान लगाया।।35
करी साधना आश्रम पावन।
मूरत स्वामी लगे सुहावन।।36
हे जग स्वामी अंतरयामी।
जन कल्याणी मुनि विज्ञानी।37
देश देश में मिशन चलाया।
दया धरम की सेवा माया।।38
बारह जनवरी युवा मनाते।
जन्म दिवस स्वामी का गाते।।39
उन्निस सौ दो चार जुलाई।
डूबा सूरज लई बिदाई।।40
वेद पुराण वेदांग सब, किया विवेक बखान।
दीन दुखी सेवा करी, स्वामी बने महान।।
— डॉ दशरथ मसानिया 

डॉ. दशरथ कुमार गवली 'मसानिया'

व्याख्याता (संस्कृत) *संस्था* :शा.उत्कृष्टउ.मा.वि आगर, जि. आगर-मालवा *शिक्षा :* एम.ए.(संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी), पीएच.डी. *व्या.शिक्षा* बी.एड.,अनुस्थापन पाठ्य.सीसीआरटी, दिल्ली : *प्रशिक्षक* : सन् 1997 से जिला एवं राज्यस्तरीय शिक्षक प्रशिक्षक *आकाशवाणी* : आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से सन् 2006 से समय-समय पर साहित्यिक एवं शैक्षणिक कार्यक्रम प्रसारित प्रकाशन : राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रिय इलेक्ट्रानिक तथा प्रिंटिंग पत्र पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन *सम्पादन* : ग्वाल महिमा (14 वर्ष), मुक्त अधर के गान, *क्र नाम पुस्तक प्रकाशन वर्ष* *1* . बैजनाथ महिमा ( ऐतिहासिक शोध) 2000 *2* .मेक इंग्लिश इजि़यर ( अंग्रेजी शोध नवाचार)2005 *3* .मालवी केवातां ( कहावत संग्रह) 2005 *4* . हमारे प्रेरणा स्रोत (जीवनी संग्रह) 2006 *5* . कबीर भजनामृत (मालवी लोक भजन) 2006 *6* . भाषा सूत्र (संस्कृत व्याकरण सार) 2009 *7* . अंग्रेजी चालीसा (गीतिकाव्य) 2011 *8* . व्याकरण पच्चीसा ( व्याकरण नवाचार) 2011 *9* . बेटी चिरैया (काव्य संग्रह) 2012 *10.* थाने बेटी मारी पेट में (काव्य संग्रह) 2013 *11.* बेटियों ने शंख बजाया(लघुकथा संग्रह) 2014 *12.* बाईस दिस को गणित दिन (गणित नवाचार) 2014 *13.* हिन्दी शतक (हिन्दी शिक्षण) 2014 *14* . हिन्दी त्रिवेणी (हिन्दी शिक्षण) 2015 *15* . बेटी बुधिया मर गई (काव्य संग्रह) 2015 *16* .कहत हैं कवि मसान (काव्य संग्रह) 2016 *17* .हिन्दी दोहावली (हिन्दी शिक्षण) *18.* गणित ज्ञान को गाइये (गायन नवाचार) 2017 *19.* हिन्दी के पांच अध्याय (हिन्दी शिक्षण) 2019 *20* .चालीसा गायन नवाचार (काव्य संग्रह) 2021 *अप्रकाशित* : मालवी एवं ब्रज लोकगीतों में कृष्ण कथा-2004(पी-एच.डी.शोधग्रंथ) *सम्मान* : म.प्र.शासन द्वारा आचार्य सम्मान-2007 तथा राज्यपाल पुरस्कार -2019 देश भर में 100 से अधिक सम्मान *दायित्व* : अध्यक्ष, कबीर कलासाहित्य समिति, आगर (रजि.) *सम्पर्क* : 123, गवलीपुरा, आगर, जिला-आगर मालवा (म.प्र.) M-9424001406