गीत/नवगीत

छोटा नाती

मेरा छोटा नाती है। बहुत बड़ा उत्पाती है।

कागज और हथेली पर पेन से खींचे चीलबिल्लौवा
भैया से कहता, वह देखो छज्जे पर गौरैया – कौवा
रंगबिरंगे चित्रों वाली पुस्तक उसको भाती है।

पानी के टब में छ्प – छ्पकर बड़ी देर तक खूब नहाता
बालों में कंघी करने में दीदी को है बहुत छकाता
कई खिलौने सजे रैक में डॉल गिटार बजाती है।

अँगुली छुड़ा तुरत नाना की गलियों में है दौड़ लगाता
कभी-कभी चुपचाप उठाकर थोड़ी – सी मिट्टी भी खाता
अ, आ, इ, ई.,ए, बी, सी, डी दस तक गिनती आती है।

कुकर को ‘कुकई’ बोल रहा है चंदामामा को चामामामा
मिसरी जैसी उसकी बोली दिनभर करता है हंगामा
मम्मी से नखरे करता जब शाम को दूध पिलाती है।

— गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

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