जालिम ही रखवाला है
शीशे की हवेली में
पत्थर की रखवाली है
जालिम ही लुटेरा है
जालिम ही सिपाही है
किससे करुँ फरियाद सनम
मतलब के सब रिस्ते हैं
स्वार्थ सिद्ध हो जाने के
दो कौड़ी में बिकते हैं
कैसे कैसे किरदार बनाया
हे मानव के शिल्पकार
फरेबी की चादर ओढ़े
लगी लंबी फरेबी कतार
किस्मत को क्यां दोष दूँ मैं
हर मुस्कान यहाँ कातिल है
किस किस के बारे में लिखूँ
हर चेहरा जहाँ शातिर है
— उदय किशोर साह