कुण्डली/छंद

सावन का छन्द (अवधी पंच)

सावन मा घनघोर घटा खुब झूम के बारिश लाय रही,
बरसै बुन्दियाँ रिमझिम- रिमझिम, टिप- टिप कर गीत सुनाय रही,
सुगना कर हरियर पंख भिगोय, के साड़ी धना की भिगाय रही,
घुटना भरि पानी मा डूबी झुकी, सखी धान की बेंड़ लगाय रही।

— अरविन्द कुमार साहू

अरविन्द कुमार साहू

सह-संपादक, जय विजय