गीत/नवगीत

हे पार्थ! उठो

हे पार्थ! उठो संग्राम करो,
ये अपने नहीं, पराये हैं।

गुरु चक्रव्यूह लेकर गर्वित,
मित्रता -बोझ में कर्ण दबा।
हैं भीष्म प्रतिज्ञा में जकड़े,
अब रहा न मामा शल्य सगा।।
कुछ वचनबद्ध,कुछ स्वार्थबद्ध,
दुश्मन की ध्वजा उठाये हैं।

शांति – संधि का हर प्रयास,
निष्फल एवं बेकार हुआ।
छल-कपट बीच में सत्य-धर्म,
अपमानित व लाचार हुआ।।
सब लोग यहां सौ चेहरे में,
निज असली रूप छुपाये हैं।।

बस धर्मराज से ही कब तक,
सत् – धर्म बचेगा सोच जरा।
सहदेव,नकुल, हे भीमार्जुन!
तुमको पुकारती मातृ धरा।।
खल छली शकुनि के कौशल पर,
पापी कौरव इतराये हैं।

जितनी जल्दी तुम चेतोगे,
उतनी जल्दी हक पाओगे।
वरना रिश्तों के चंगुल में,
फंस,अपनी जान लुटाओगे।।
सबने हाथों में शस्त्र गहे,
सब लड़ने तुमसे आये हैं।

हर महायुद्ध का मूलबीज,
अच्छों की चुप्पी में पलता।
खल छल प्रपंच से पालित शिशु,
आख़िर में दुर्योधन बनता।।
भीष्म,द्रोण कृप,विदुर,व्यास सब
मिलकर हर युद्ध रचाये हैं।

धिक्कार तुम्हें है हे पुरुषों,
हर नारी की मर्यादा का।
धिक्कार तुम्हें है हे पुरुषों,
हर सप्तपदी, हर वादा का।।
सक्षम नर की असमय चुप्पी,
से मानुष अधम कहाये हैं।

हे द्रुपद सुता मत वरण करो,
बस मत्स्य चक्षु के भेदन पर।
जिस कुल में लाक्षागृह होता,
सोचो उसके संवेदन पर।।
गांडीव गदाधारी परिजन,
धिक, तुम्हें द्यूत पर लाये हैं।

जब-जब कोई संख्या बल पर,
शोषक – नाशक बन जाता है।
हममें से कोई राम – कृष्ण,
बन करके शस्त्र उठाता है।।
फिर से नवल फूल बगिया के,
पाकर पतझर मुरझाये हैं।

अब राम कृष्ण दुर्गा काली,
सब हमको ही बनना होगा।
भगत चंद्रशेखर सुभाष को,
अपने ही घर जनना होगा।।
इन देवतुल्य रणवीरों ने,
उज्जवल इतिहास रचाये हैं।

मत इंतजार कर गैरों का,
अपनों की भी मत देख राह।
दिल में लेकर तूफान प्रबल,
पूरी कर अपनी सकल चाह।।
पर ध्यान रहे इस धरती पर,
किस हेतु जन्म हम पाये हैं।

— डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन