कविता
मानव की मानवता का फैले नारा,
इंसान बने इंसानों का सहारा।
उंच – नीच की दीवारों को गिरा डालो,
मानवता की झंडा को फहरा डालो।
सर्व जाति धर्म की एकता बने नारा,
छुआछूत से उपर उठकर फैलाए भाईचारा।
नफ़रत एवं द्वेष की दीवारों को गिरा डालो,
प्यार एवं मौहब्बत की दीपक सभी के दिलों में जला डालों।
आओ सब मिलकर भारत को एकता की मिशाल बनाएं,
जाति, धर्म, छुआछूत के बंधन को तोड़ हमसब अपनी दिखाए।
— मृदुल शरण