कविता

जिंदगी का सुहाना सफ़र

परीक्षा लेती हैं जिंदगी अक्सर,
घबरा न जाना इससे तुम डर कर,
सामना करना कठिनाइयों का मुस्कुरा कर,
तूफ़ानों को सहना हिम्मत से डटकर ।

माना टेढ़ी-मेढ़ी है जीवन डगर,
कदम रखना यहां संभल-संभल कर,
लक्ष्य पर जो अडिग होगी एकदम नज़र,
मिलेगी मंजिल अवश्य थोड़ा तू सब्र कर ।

सुन खो न जाना रिश्तो में उलझ कर,
इंद्रियों के मोह पाश में बुरी तरह फंस कर,
दुखों के भंवरजाल में न रह जाना बंधकर,
रहना झूठी प्रशंसा से हमेशा बचकर ।

ज्ञान की ज्योति जगाए रखना भीतर,
आत्मविश्वास प्रबल रखना स्वयं पर,
जीवन तपस्या करना मेहनत कदम-कदम पर,
आगे बढ़ाना सुझबुझ, संयम के दम पर ।

पथ पर गर तेरे साथ हो जो परमेश्वर,
कट जायेगा ये जिंदगी का सुहाना सफ़र,
भटकेगा न फिर कभी, न मौत से लगेगा डर,
“आनंद” का सावन बरसेगा झूम झूमकर ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु