गीत/नवगीत

संवरिया आजा रे

घिर आई कारी बदरिया।
अब तो आजा संवरिया।

गरज गरज बादल डरवावे,
धड़के जियरा चैन न पावे,
चमकन लागि बिजुरिया।
अब तो आजा संवरियां।

राह निहारत बीती रतियां,
दरवाजे पे लागी अंखिया,
दुखन लागी नज़रिया ।
अब तो आजा संवरिया।

सावन भादों नैनन बरसे,
तुम्हरी याद में जियरा तरसे,
सूनी लागे सेजरिया।
अब तो आजा संवरिया।

काजल बिंदीया मन न सुहावे,
दरपन भी अब रास न आवे,
भावे कछु न बजरिया।
अब तो आजा संवरिया।

घिर आई कारी बदरिया।
अब तो आजा संवरिया।

— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”

*पुष्पा अवस्थी "स्वाती"

एम,ए ,( हिंदी) साहित्य रत्न मो० नं० 83560 72460 pushpa.awasthi211@gmail.com प्रकाशित पुस्तकें - भूली बिसरी यादें ( गजल गीत कविता संग्रह) तपती दोपहर के साए (गज़ल संग्रह) काव्य क्षेत्र में आपको वर्तमान अंकुर अखबार की, वर्तमान काव्य अंकुर ग्रुप द्वारा, केन्द्रीय संस्कृति मंत्री श्री के कर कमलों से काव्य रश्मि सम्मान से दिल्ली में नवाजा जा चुका है