तुम्हारी याद
दिल में सावन की झड़ियां लगा रही है
इश्क़ की बारिश, मन को भिगा रही है
उमड़ रहे हैं मचलते अरमानों के बादल
क्यूँ याद तुम्हारी,आज ज्यादा आ रही है?
तुम्हारे एहसासों की हवाएँ जो छू रही है
तुम हो करीब यहीं कहीं,ये बतला रही है
सभी यार मुझे अब कहने लगे हैं पागल
मेरी हर बात तुम्हारा नाम लिए जा रही है
बारिश की बूंदें जो मुझे आज भिगो रही है
तुम्हारे पास होने का एहसास दिला रही है
तुम्हारी मुहब्बत ने किया है मुझको कायल
इस मौसम में तुम्हारी याद बेहद सता रही है
— आशीष शर्मा ‘अमृत ‘