अनकहे जज़्बात
काव्य हमारे भावों, विचारों को शाब्दिक अभिव्यक्ति है जो कि साहित्य की सबसे कोमल विधा मानी जाती है। कवि अपनी यथार्थ अनुभूतियों को कोर पन्ने पर इस कदर व्यक्त करते हैं कि पढ़ने वाला हर व्यक्ति उनका कायल हो जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त सुप्रसिद्ध कवि डॉक्टर राजीव डोगरा कृतित्व भी इसी बात को इंगित करता है।
अभी तक हिंदी में 100 से ऊपर कविताएं लिख चुके है। प्रतिष्ठित व्यक्तित्व होने के साथ-साथ साहित्यिक क्षेत्र में भी रुचि होना उनकी बिंतनशीलता, भावों की परिपक्वता और काव्य की गुणवत्ता को दर्शाता है। हाल ही में प्रकाशित उनका काव्य संग्रह ‘अनकहे जज़्बात’ हिंदी साहित्य के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। “अनकहे जज़्बात” द्वारा कवि ने साहित्य क्षेत्र को अनुपम पुष्पों की माला से सुशोभित किया है। यह पुष्प रूपी हार विभिन्न मनोभावो तथा अनुभूतियों के पुष्पों से शोभायमान है। डॉ. राजीव डोगरा बहुमुखी प्रतिभा के धनी, प्रमत्नशील एवं अनुभवी कवि है। काव्य संग्रह की 50 कविताओं में उन्होंने अपनी रचनात्मकता के माध्यम से जीवन के विविध आयामों को स्पर्श किया है। इस काव्य संग्रह का मूल रूप से उद्देश्य प्रकृति की मूल संरचना का संरक्षण, मानवीय संबंधों में पारिवारिक रिश्तो की अहमियत, रीति रिवाज संस्कार, देशभक्ति से ओत-प्रोत रचनाएं सभी विषयों को बड़ी कुशलता के साथ स्पर्श किया है जो कवि की दूरदृष्टि तया काव्य सृजन की परिपक्वता को भलीभांति दर्शाता है।
मां के चरणों में वंदन करने के साथ ही, दोस्ती का जिक्र, बदलाव , सोच इत्यादि के ऊपर कविताओं की रचना की है। जिसमें मुख्य तौर पर “अंतर्मन की पीड़ा”,”जीवन चक्र”, “मैं समय हूं”, “मृत्यु का अघोष”, “नई मोहब्बत ” आदि रचनाओं को बहुत ही अच्छे तरीके से प्रस्तुत किया है।
“दोस्ती का रंग
दोस्ती का रंग हमसे पूछिए
जरा सा हमसे दिल लगाकर
जरा सा मुस्कुरा कर देखिए।
दोस्ती होती नहीं है मोहब्बत से कम
ज़रा हमारे साथ चल कर,
ज़रा सा हमारे रंग में खुद रंग कर देखिए। “
“माँ काली
एक तुम ही तो हो माँ काली
जो मेरे लिए
वक्त के हर पन्ने को
पलट सकती हो।
एक तुम ही तो हो माँ काली जो मेरे लिए
काल से क्या
महाकाल से भी लड़ सकती हो।”
साधारण ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े डॉक्टर राजीव जी महान उपलब्धियों के प्रणेता है। साहित्य सूजन में तत्पर उनकी सभी कविताएं छन्दबद्ध, तुकबंदी में रची और भावपूर्ण है। सांसारिक जीवन के सभी पहलुओं का स्पर्श करता काव्य संग्रह ‘अनकहे जज़्बात’ सागर का गागर में भरने का हुनर रखता है। अंतराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त डॉक्टर राजीव जी ने साहित्यिक क्षेत्र में भी अपनी अनुपम आभा को बिखेरा है जो कोई बिरला ही व्यक्तित्व होता है। आशा करते हैं कि भविष्य में भी डॉक्टर राजीव जी का ऐसा ही ज्ञानवर्धक साहित्य पाठको को पढ़ने के लिए मिलता रहेगा। उनकी इस अनुपम, अद्वितीय और श्रम साध्य कृति के लिए साधुवाद एवं अनंत बधाई।
मैं राजीव डोगरा जी को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई देती हूं। और भविष्य में भी इस तरह के लेखन को वह समाज के सामने लाते रहे इसकी उम्मीद रखती हूं।
— प्रीति शर्मा “मधु”
पुस्तक’ —अनकहे जज़्बात ,
कवि —डॉ. राजीव डोगरा ,
प्रकाशन—– सरोज हंस ,
मूल्य—225 रुपये, पृष्ठ संख्या –95