धरोहर है गीत
मुस्कुराहट साथ है अगर है गीत
प्यार है जिस ओर, बस उधर है गीत
है लगन कोई तो फिर महसूस हो
वरना घर में रहते भी बेघर है गीत
आज के युग में किसी का कौन है ?
भूली बिसरी आज धरोहर है गीत
पढ़ सके वो हमको तो कुछ बात है
प्यार वाला ढाई बस अक्षर है गीत
चल पड़े एकाकी हम जिस मार्ग पर
ना रुके बस ऐसा एक सफर है गीत
बाहु में गांडीव है टंकारता
मत्स्य नयन पर दृष्टिगोचर है गीत
लेखनी जो भाग्य लिखती है सदा
उसकी स्याही का हस्ताक्षर है गीत
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”