बाल कविता

जंगल में क्रिकेट

हाथी भालू चीता बंदर।
बैट बॉल लेकर आए।।
हिरण लोमड़ी बारी–बारी।
दोनों तब टीम बनाए ।।

सूंड उठाकर बॉल उछाले।
खुश हो कर दादा हाथी।।
पस्त हुई चीता की हालत।
हँसे देख कर सब साथी।।

बड़े जोश में भालू भाई।
मारे जब छक्का चौका।।
रन बरसाते लगा सोचने।
आज मिला है ये मौका।।

तभी लोमड़ी बाॅल फेंक कर।
खूब दिखाई चतुराई।।
हिरण हुआ रन आउट देखो।
भालू की शामत आई।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]