कविता

तोपों ने जय हिंद उच्चारे

गुपचुप आकर बैठ गया था
जो कारगिल की चोटी पर
लिखा हमने भी वंदेमातरम
दुश्मन की वोटी वोटी पर

कुछ सियार आ बैठे थे
टाइगर हिल पर धोखे से
टूट पड़े थे सिंह हमारे
मजा चखाया चौखे से

मार भगाया और समझाया
उसकी करनी खोटी पर
तोपों ने जय हिंद उच्चारे
शत्रु की नीति छोटी पर ।

धन्य वीर सपूत जिन्होंने
देश पर बलिदान दिया
चोटी को खाली करवाया
सुरक्षित हिन्दुस्तान किया

धन्य वीर माताओं जिनने
अपने पूत निछावर कीनेै
शहीद की चिता पर जिनने
अश्रु अर्पित तनिक न कीनै

— व्यग्र पाण्डे

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'

विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र' कर्मचारी कालोनी, गंगापुर सिटी,स.मा. (राज.)322201