स्वास्थ्य

शहद में कुछ ख़ास एलिमेंट होते हैं

हम में से सभी चाहते हैं कि हमे एक लंबा और स्वस्थ जीवन मिले,औऱ एक अधिक समय तक जीवित रहें, डॉक्टर वैद्य हकीम साइंस दानों एवं माहेरीन इस खोज में लगे हैं कि मृत्यु को कुछ समय के लिए टाला जा सके,पिछले वर्षों में रूस में एक ऐसे शख़्स पर डाक टिकट जारी किया गया था जिसकी आयु 100 से भी बहुत अधिक पाई गई थी, पता यूँ लगा कि वो शख्स शहद का नियमित सेवन किया करता था, अनुमान लगाया गया कि शहद भी लंबी उम्र का एक राज़ हो सकता है,  शहद में कुछ ख़ास एलिमेंट  होते हैं जो इंसान के लिए ही नहीं सभी के लिए लम्बी उम्र का वरदान होते हैं,शाद में रखी जने  वाली तमाम चीजें बैक्टीरिया, और जराशिम के गलत असरात से सुरक्षित रहती हैं,इनमें फफूँद नहीं लग पाती है, पुराने जमाने में मुद्दतों तक चीज़ें शहद में रख कर  महफ़ूज़ कर ली जाती थीं, शहद  न तो कभी सड़ता है,और न ही खराब होता है,इसलिए शहद हमारे लिये बहुत अहमियत रखता है,

आज के रसायन शास्रीयों  ने शहद के तमाम तत्वों को अलग अलग करके जब दुबारा उनको वापस एक करने की कोशिश की तो कामयाब न हो सके ,यानि फिर दुबारा ये सभी छोटे  छोटे तत्व की सूरत में न पा सके, आज के वैज्ञानिकों एवं डॉक्टरों ने पता लगाया कि शहद इन्फ्लूएंजा, टॉयफाईड , निमोनिया पैचिश आँतों एवम पेशाब की बीमारियों, आँतों की सूजन, मुंह के छालों का आना आदि को दूर करने की खुसूसियत रखता है, शहद का नियमित सेवन गठियावात और जोड़ों के दर्द में सूजन से भी राहत दिलाता है पाचन तन्त्र मज़बूत होता है, और ख़ून साफ करके चहरे ओर रंगत लाता है, कहा जाता है कि बुढ़ापा सबसे बड़ी बीमारी है, शहद हर उम्र और हर मिज़ाज के शख़्श के लिए एक बेहतरीन दवा है, जिसके निरंतर इस्तेमाल से शरीर को कई ज़रूरी एलिमेंट्स हासिल होते हैं,

तजुर्बात से मालूम हुआ है कि दिल की बीमारियों में शहद का इस्तेमाल फायदे मंद हो सकता है, या होता है, शहद की शुध्दता उसकी सुगंध से  स्पष्ट हो जाती है,इसका स्वाद भी कुछ हद तक शुध्दता  प्राकृतिक होने का  ज्ञान करा सकता है, बुज़ुर्ग बताते हैं कि अगर कुत्ते को  शुद्ध शहद खिलाया जाय तो वो नही खाता है, यानि शहद शुद्ध है, असली है, घरेलु मख्खी भी शहद में नहीं चिपक सकती शहद में उसे डूबा दिया जाय तो वो उड़ जाती है यानि शहद असली  है, अगर रुई की बत्ती शहद में डूबा कर जलाई जाय तो अच्छी तरह जलती रहती है, अभिप्राय ये कि  शहद की शुद्धता का प्रमाण देती है, शहद नकली होगा तो  चढ़ चड़ाहट की आवाज़ सुनाई देती है,

— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- [email protected] , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,