कविता

सत्यमेव जयते

जब तक सूरज चाँद रहेगा
सत्यमेव जयते जग में गुँजेगा
सागर इसे डूबो सकता नहीं
मिट्टी दफन कर सकता नहीं

सत्य की राज सदैव ही रहेगा
चन्द ईमानदार ताज पहनेगा
है यह एक मँहगी नजीर
जो सबकी हर लेता है पीर

सत्यपथ है काँटो से परिपूरन
सब की नसीब में ना है घूरन
जो करता है सत्य की बात
जग देता है कष्ट की सौगात

ठोकर पथ पर होता है खाना
गम का तराना होता है गाना
विरले में होता है संग साथ
मदद में ना आता है कोई हाथ

समझदार को है इसे अपनाना
हॅंसी खुशी का है ये एक गाना
प्रवेश पे होती है जहाँ अपमान
अन्त में सब करते हैं सत्य गान

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088