बाल कविता

चिड़िया रानी

चिड़िया-रानी, चिड़िया-रानी
पास हमारे, तुम आ जाओ न
बिना तुम्हारे घर-आँगन सुना
तुम आ-आ के सजा जाओ न।

तुम हो कितनी चंचल-शर्मीली
हमसे तुम ऐसे मत शरमाओ न
आके तुम मीठी, तान सुनाओ
प्यारा गीत-सांगीत सजाओ न।

अंधियारी अब रजनी है बीती
भोर का नव-संदेश सुनाओ न
गुंजने लगे हैं कमलों  पर भौंरे
जगत को जागरण कराओ न।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578