चिड़िया रानी
चिड़िया-रानी, चिड़िया-रानी
पास हमारे, तुम आ जाओ न
बिना तुम्हारे घर-आँगन सुना
तुम आ-आ के सजा जाओ न।
तुम हो कितनी चंचल-शर्मीली
हमसे तुम ऐसे मत शरमाओ न
आके तुम मीठी, तान सुनाओ
प्यारा गीत-सांगीत सजाओ न।
अंधियारी अब रजनी है बीती
भोर का नव-संदेश सुनाओ न
गुंजने लगे हैं कमलों पर भौंरे
जगत को जागरण कराओ न।
— अशोक पटेल “आशु”