कविता

दोस्ती

सच्चा दोस्त जीवन में है ईश्वर का भेजा हुआ फरिश्ता,
पूरी कायनात में सबसे खूबसूरत रिश्तो में एक रिश्ता,
बिना बंधन ही जिस दोस्ती ने दूर की जीवन की हर बाधा,
दोस्ती न तो सात जन्मों का बंधन न किया हुआ कोई वादा ।

दोस्त से दर्द कितना भी छुपा लो वह सब समझता है,
दुनिया के परे अंतर मन में यह रिश्ता स्वत: पनपता है,
भूत, वर्तमान, भविष्य दोस्त बस दोस्त ही रहता है,
उम्र बढ़ती जाती, मगर दोस्ती का रंग गहरा ही रहता है।

दूर हो-पास हो दिल के खास कोने में घर होता उसका,
खुशियों में-गमों में हर परिस्थिति में हाथ साथ उसका,
खटखटालो, उसके दिल का दरवाजा सदा खुला ही मिलता,
कर लो कितनी लड़ाईयां पर “आनंद” दोस्ती का जिंदा रखता ।

रोक-टोक उसकी किसी बंदिश की मोहताज नहीं,
बात चुभे भले ही सच बोलने में जो करता परवाह नहीं,
दुआ देने में ली होती है उसने ईश्वर से कोई मास्टर डिग्री,
मुसीबतों के वक्त झट से साहस की घोलता वो मिश्री ।

टाइम मैनेजमेंट की ऐसी की तैसी वो निभाता हर वक्त यह जिम्मेदारी,
नि: स्वार्थ भाव से सारी खुशियां और गमों में होती उसकी हिस्सेदारी,
खुद टूट कर भी अपने मित्र को कभी बिखरने ना देता,
ताली एक हाथ से नहीं बजती, सच्चे दोस्त को ही सच्चा दोस्त मिलता ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु