सामाजिक

प्यार, पढ़ाई और करियर में बाधक नहीं प्रेरक होना चाहिए

प्यार वो गहन अनुभूति है जिनको किसीसे हो जाता है वह उसके लिए कुछ भी कर गुज़रने को बेताब रहता है। लेकिन इश्क की आँधी बहा ले जाती है जिनको कच्ची उम्र के पड़ाव पर, वह कहीं के नहीं रहते। छूट जाती है पढ़ाई, छूट जाते है काम और कभी-कभी छूट जाता है घर-परिवार। कुछ लोग इश्क के चक्कर में कई बार हार जाते है अपनी ज़िंदगियाँ। 15 से लेकर 20 साल के बीच का सफ़र विपरित सेक्स के प्रति आकर्षण पैदा करता है। यह उम्र ही ख़तरनाक होती है। उस उन्माद को बच्चें प्रेम समझकर एक ऐसी राह पर निकल जाते है, जहाँ फिसलन और पतन के सिवा कुछ नहीं होता। 

बेशक प्यार करो पर पहले प्यार की परिभाषा को समझो। प्यार करने की भी एक उम्र होती है। आकर्षण को प्यार का नाम देकर ज़िंदगी बर्बाद करना बेवकूफ़ी है। जो प्यार पढ़ाई और करियर में बाधा बन जाए वो प्यार नहीं महज़ आकर्षण होता है। जब दो समझदार लोगों के बीच रिश्ता जुड़ता है तभी प्यार परवान चढ़ता है। दोनों एक दूसरे को समझते है space देते है, समय देते है। एक दूसरे की प्रेरणा बनते दोनों ही जब पढ़ लिखकर कुछ बन जाए तभी अपने एहसासों को वास्तविकता का रुप देकर नये जीवन की नींव रखते है। काॅलेज के लेक्चर्स बंक करके या नौकरी से छुट्टी लेकर प्रेमी या प्रेमिका से मिलने जाना कतई उचित नहीं। पढ़ाई के बाद का और ऑफ़िस के बाद का समय आपका अपना ही होता है। प्रेम से पेट नहीं भरता अगर जीवन की गाड़ी पटरी पर होगी सारी सूख सुविधाएँ पास होगी तभी प्रेम से जीवन कटेगा। प्रेम में भागकर शादी कर लेना आसान है पर वो शादी चार दिन की चाँदनी पूरवार होगी। सोच समझकर लिया हुआ फैसला  ज़िंदगी आसान बनाएगा। प्यार जीना सीखाता है, प्यार आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

दूसरी बात यह कि करियर बनाने के साथ-साथ रिलेशनशिप रखने की जरूरत नहीं है। यदि आपके कुछ सपने है और आप अपना करियर बनाना चाहते है, ज़िंदगी में कुछ पाना चाहते है तो आप अपना सारा समय अपने करियर को दीजिए। दूसरे लड़के लड़कियों के ब्वॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड है मेरा ही नहीं इस चक्कर में अपना वक्त बर्बाद मत किजिए। यदि आप इस बात से परेशान है कि रिलेशनशिप में होना बहुत जरूरी है वरना शादी कैसी होगी? तो चिंता न करें जब आपका कैरियर बन जाएगा तो आपकी शादी के लिए रिश्तों की कमी नहीं होगी। लड़का हो या लड़की करियर आज के ज़माने में दोनों के लिए जरूरी है। अपनी खुद की पहचान बनाना, अपनी ज़रूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर न रहना, करियर आज के समय में सबके लिए जरूरी है और जिसका करियर नहीं वह जीवन भर संघर्ष ही करता रहता है इसलिए समय रहते प्यार व्यार के चक्कर में न पड़ते अपना करियर बनाएं। और अगर प्यार हो ही जाता है तो दोनों पार्टनर को एक दूसरे को समझना होगा, अगर आपके साथी की पढ़ाई अधूरी है या करियर बना रहा, या रही है तो उसे समय दीजिए उसका साथ दिजिए। जब दोनों कुछ बनकर अपने पैरों पर खड़े रहने के काबिल बन जाए तभी रिश्ते को कोई नाम दीजिए। तू मुझे समय ही नहीं देता, या देती जैसी छोटी-छोटी बातों से एक दूसरे की पढ़ाई या करियर में रुकावट मत ड़ालिए। 

पहले के ज़माने में फ़िल्मों में दो फूलों को आपस में टकराकर प्यार प्रदर्शित किया जाता था। लेकिन आज ऐसा नहीं है। आजकल प्यार होते ही शारीरिक जरूरतें सर उठाती है। दो जवाँ दिल ज़्यादा दिन तक सेक्स से दूर नहीं रह सकते। ऐसे में पढ़ाई और करियर से फ़ोकस हट जाना लाज़मी है। सेक्स के लिए पूरी ज़िंदगी पड़ी है, क्यूँ उस एहसास को बासी कर देना है? शादी के बाद नीयत समय पर ताज़े एहसास का मज़ा लेना चाहिए। साथ ही आजकल के लड़के-लड़कियाँ उस उम्र में प्रेम में पड़ जाते है जो उम्र अपना लक्ष्य तय करते पढ़-लिखकर कुछ बनने की होती है। इस उम्र में इतने परिपक्व नहीं होते। प्यार, इश्क, मोहब्बत को अपनी शारीरिक जरूरतें पूरी करने का ज़रिया समझते है। खासकर डिज़ीटल युग में हर बच्चें मोबाइल का बेबाक उपयोग करते है, जिसमें अंगूठा दबाते ही पोर्नोग्राफ़ी एप्स की भरमार मिलती है। बहुत कम उम्र में आजकल के बच्चें एडल्ट हो जाते है। हर माँ-बाप को अपने बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों की मानसिकता का अध्ययन करते बातचीत से जानने की कोशिश करनी चाहिए की बच्चे किस दिशा में जा रहे है। 

कभी-कभी बच्चें आकर्षण को प्यार समझकर एक ऐसी राह पर निकल जाते है, जहाँ से बाकी सब पीछे छूट जाता है। पढ़ाई-लिखाई से भटक जाते है लक्ष्य को भूल जाते है। खासकर लड़कियों की ज़िदगी में बहुत सारे परिवर्तन आते है। लड़कियाँ कई बार गलत पात्र से रिश्ता जोड़ कर ऐसी गलती कर बैठती कि  बर्बाद हो जाती है। अमन-चमन के चक्कर में लड़के लड़कियों को फंसाते है फिर जिम्मेदारी से पल्ला जाड़ लेते है, तब समाज में बदनामी लड़कियों की ही होती है, लांछन लड़कियों पर ही लगते है। कई बार परिवार से भी हाथ धोने पड़ते है। या तो विकृत मानसिकता वाले लड़के येन केन प्रकारेण लड़की को पाने के लिए इस हद तक जाते है की लड़कियों को एसिड अटेक का सामना करना पड़ता है, या जान से जाती है। कभी-कभी प्रेम के नाम पर शारीरिक उन्माद में बेकाबू होकर बिना कोई प्रिकाॅशन्स लिए  लक्ष्मण रेखा लाँघ जाते है और कुँवारी लड़कियां प्रेग्नेंसी के चक्कर में या तो कच्ची उम्र में अबोर्शन का शिकार बनती है, या नवजात को जन्म देकर कूड़े-कचरे में ड़ाल देती है। ऐसे गैरजिम्मेदार मनचलों की बातों में आकर खुद की ज़िंदगी को दाँव पर लगाना बेवकूफ़ी है। ऐसे लड़के प्यार नहीं खिलवाड़ करते है। ज़िंदगी बहुत अनमोल है और अपने परिवार की इज्जत बेमोल है, व्यर्थ मत गँवाओ। 

प्यार करने की भी एक उम्र होती है, समझ होनी चाहिए की प्यार किसे कहते है। प्यार की परिभाषा जानें बिना अट्रेक्शन को प्यार समझकर या होम करके कूदना मतलब खुदकुशी है। बेशक प्यार करो पर शिद्दत वाला करो। एक ही इंसान से करो और अपने साथी को वफ़ादार रहो। पहले ज़िंदगी में पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ, अपना लक्ष्य प्राप्त कर लो और जब आपको लगे की आप किसीकी ज़िम्मेदारी उठाने के काबिल हो, किसीका हाथ थामें आप बुढ़ा हो सकते हो तब बकायदा अपने प्यार का इज़हार करो और अपने प्रिय साथी के साथ भरपूर ज़िंदगी जिओ।

प्यार का एहसास बहुत खूबसूरत होता है, किसीके प्रति नि:स्वार्थ और निश्छल  भाव प्रेम की परिभाषा है। प्यार छीनने का नहीं, देने का नाम है, महसूस करने का नाम है। किसीको बदनाम और बर्बाद कर दे वह प्यार नहीं हैवानियत है। इसलिए बच्चों ज़रा ठहरो, सोचो, अपनी ज़िंदगी से प्यार करो और प्यार का पागलपन छोड़ कर कुछ बनकर दिखाओ। ज़िंदगी बड़ी खूबसूरत है जश्न सी मनाओ पर कायदे से, दायरे में रहकर। आकर्षण को प्यार का नाम देकर   प्यार, इश्क, मोहब्बत जैसे शब्दों को समझे बिना उस आग में कूद मत जाओ। पहले कुछ बन जाओ, फिर वफ़ा की राह पर चलकर अपने साथी को पाओ।

— भावना ठाकर ‘भावु’

*भावना ठाकर

बेंगलोर