मुक्तक
जो बलबलाया वक्त से, अंदर चला गया
कुपित हुए अगस्त्य, समुंदर चला गया
खबरों के मसीहा न दंभ पालिए ऐसे
जिंदा हैं सूर-तुलसी, सिकंदर चला गया।
— सुरेश मिश्र
जो बलबलाया वक्त से, अंदर चला गया
कुपित हुए अगस्त्य, समुंदर चला गया
खबरों के मसीहा न दंभ पालिए ऐसे
जिंदा हैं सूर-तुलसी, सिकंदर चला गया।
— सुरेश मिश्र