कविता

कर्मों का बहीखाता

हम सब जानते हैंजैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल पायेंगेगीता का यही ज्ञान, है जीवन का विज्ञान।कौरव पांडव का उदाहरण सामने हैरावण विभीषण, सुग्रीव बाली के बारे मेंहम सब जानते हैंकंस का भी ध्यान है या भूल गए।सबका बहीखाता चित्रगुप्त जी ने सहेजा,किसी को राजा तो किसी को प्रजातो किसी रंक बनाकर भेजाअमीर गरीब का खेल भी मानव का नहींकर्मानुसार उसके बहीखातों का खेल है।यह और बात है कि हमेंअपने पूर्व जन्म या जन्मों का ज्ञान नहीं होता,इसीलिए अपने कर्मों का भी हमें पता नहीं होता।और हम सब इस जन्म के साथ हीपूर्वजन्मों के कर्मों का फल पाते हैं।क्योंकि हमारे कर्मों का बही खाता निरंतर भरता रहता है,उसी के अनुसार कर्म फल का निर्धारण होता हैऔर हमें अच्छा बुरा कर्म फल मिलता है।वर्तमान जीवन में ही नहीं मृत्यु के बाद भी चित्रगुप्त जी के बहीखाते में दर्ज हमारे कर्मों के अनुसार हीकर्म फल का निर्धारण होता रहता है,सत्य यह भी है कि हमारा एक एक कर्म चित्रगुप्त जी के बहीखाते मेंदर्ज़ होने से कभी छूटता भी नहीं,इसीलिए तो इसे कहा जाता हैकर्मों का बहीखाता।

*सुधीर श्रीवास्तव

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