आ रहा सावन
लगी दिल की मुझे जब से मिलाने आ रहा सावन।
उठी है पीर यादों की ,जताने आ रहा सावन।
पड़े झूले मुहब्बत के , घटाएं प्यार की छाई,
दिलों में नेह की बाती, जलाने आ रहा सावन।
पपीहा पी कहीं गाता, कहीं कोयल लगी गाने,
जगा के प्रीत दिल में है, रिझाने आ रहा सावन।
घटा घनघोर है छाई, जवानी मुस्कुराई है,
चढ़ी यौवन खुमारी है, सताने आ रहा सावन।
लगा लो मीत दिल से तुम, तड़ित मन को डराती है।
रहो तुम पास अब मेरे, डराने आ रहा सावन।
पड़ी बेजान हूं कब से, सुनों दिल की लगी मेरी,
रही कैसे बिना तेरे, सुनाने आ रहा सावन।
यही है नैन का कजरा, उड़े जो मेघ अम्बर में।
लगी बिंदी सुहागिन की, सजाने आ रहा सावन।
जुदाई सह नहीं सकती, जुदा अब हो नहीं सकती,
लगी है आग यौवन की, बुझाने आ रहा सावन।
— शिव सन्याल