ग़ज़ल
क़ौम जो भी इल्म से धनवान होती जाएगी।
ऐश इशरत उसके घर महमान होती जाएगी।
जब थमेगा दौर हिंसा का पड़ोसी मुल्क में,
ज़िन्दगी फिर दिन ब दिन आसान होती जाएगी।
बाल बच्चों को मिलेगी जब सही तालीम तो,
सद गुणों की नस्ल अगली खान होती जाएगी।
जो गली आबाद थी कल आपके कारण सतत,
आपके बिन वो गली सुनसान होती जाएगी।
वोट के बल का जिसे भी ज्ञान होता जाएगा,
दिन ब दिन सरकार वो बलवान होती जाएगी।
— हमीद कानपुरी