कविता

एहसान फरामोश

कैसे हो सकता है इंसान एहसान फरामोश
कैसे भूल जाते हो किसी का किया उपकार
आज़ादी के लिए बंग बन्धु ने किया सब कुछ कुर्बान
तोड़ दिया उसकी मूर्ति को हथौड़े से करके वार

कट्टरपंथियों के हाथ में जो सत्ता एक बार आ गई
बन जायेगा बंगलादेश फिर दूसरा अफगानिस्तान
लोकतंत्र का मिट जाएगा नामोनिशां
आज़ादी छिन जाएगी निकलेंगे ऐसे फरमान

आरक्षण ही मुद्दा बना जिस पर सरकार घिर गई
साजिश थी बहुत बड़ी सम्भल न पाई और गिर गई
क्यों ऐसे फैसले ले लेते हैं सत्ता के अहंकार में
सत्ता भी गई सारी हेकड़ी भी निकल गई

अब वही बच्चा जिसको पाल पोस कर बड़ा किया
गलत हाथों में खेलकर वह हमको आंख दिखायेगा
अपने पांव लगेगी कुल्हाड़ी किसी का कुछ नहीं बिगडेगा
उसका बना बनाया खेल बिगड़ जाएगा

देशहित में नहीं जो कर रहे सम्पति का नुकसान
लूट कर ले जा रहे सारा कीमती सामान
कैसा समय आ गया जो भूल गए दीन ईमान
देशद्रोही आगे आ गए पीछे रह गए देशभक्त इंसान

क्या हो गया इंसान को क्यों मारामारी कर रहा
बेईमान आगे आ रहे ईमानदार क्यों डर रहा
क्यों दूसरों का हक छीनना चाहता है हर कोई
अपने गिरेबान में झांकता नहीं देखा देखी मर रहा

पाकिस्तान चीन अमेरिका की शय पर अगर चलेगा
अच्छे पड़ोसी की तरह यदि व्यवहार नहीं करेगा
हश्र पाकिस्तान का देख ले फिर अच्छी तरह
भारत से जो दुश्मनी करेगा वह बेमौत मरेगा

— रवींद्र कुमार शर्मा

*रवींद्र कुमार शर्मा

घुमारवीं जिला बिलासपुर हि प्र