कविता

ध्वजा तिरंगा

हर घर फहरे ध्वजा तिरंगा।
नभ में लहरे ध्वजा तिरंगा।

त्याग – समर्पण भाव हो जागृत
देशभक्ति का पी लें अमृत

भारत माँ की सेवा के हित
हृदय में उतरे ध्वजा तिरंगा।

सुदृढ़ हो एकता – अखण्डता
बढ़े स्वतंत्रता की प्रचण्डता

सीमा पर भरपूर जोश से
अविचल ठहरे ध्वजा तिरंगा।

रणवीरों को नमन करें हम
गौरव – पथ पर गमन करें हम

बलिदानों की गाथा के रंग
कर दे गहरे ध्वजा तिरंगा।

— गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

117 आदिलनगर, विकासनगर लखनऊ 226022 दूरभाष 09956087585