जगत के आधार
वो शिव हैं, वो सत्य हैं, वो ही पालनहार
देवाधिदेव हैं महादेव वो जगत के आधार
है भस्म अंग, गल भुजंग वो नंदी सवार
जटाजूट वक्र भृकुटि ले बाघम्बर धार
उपासना-आराधना में बिल्वपत्र जलधार
पूजन-वन्दन-स्तुति हैं, वही वार-त्योहार
प्रति वेदना-सम्वेदना त्रिनेत्रम् उद्धार
हर सूक्ष्म-शून्य और अणु-परमाणु-संसार
मुण्डमाल चन्द्रभाल दानव दैत्य संहार
वो महामृत्युंजय, रोग-दोष-मृत्यु प्रतिकार
वो भक्ति वो शक्ति सती पार्वती श्रृंगार
कर डमरू नाद त्रिशूल, हैं कैलासा पार
हैं मात-पिता बंधु-बांधव निर्मूल-निराकार
मन के समग्र भाव जगत “गीत” वही अपार
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”