ग़ज़ल
जैसे शम्मा लगे क़मर तुमको।
मैंने चाहा है इस क़दर तुमको।।
होंठ तेरे गुलाब ऑंखें कमल।
याद करता हूं हर पहर तुमको।।
पाँव पाजेब पहने सुंदर सी।
लग न जाए कहीं नज़र तुमको।।
डाले काँधे पे लाल चूनर है।
हो गई देखते सहर तुमको।।
बरसे बदरा सताये डर मुझको।
ले न जाए कोई कुँवर तुमको।।
मेरा दिल चाहे तूझे सदियों से।
कर देगा प्यार यूं अमर तुमको।।
तुम न चाहो तो कोई बात नहीं।
मैंने चाहा है उम्रभर तुमको।।
— प्रीती श्रीवास्तव