बालगीत – घेवर
सावन की सुस्वादु मिठाई।
जीजी मेरी लेकर आई।।
रक्षाबंधन पर्व मनाया।
राखी लेकर हमको आया।।
घेवर की मधुरता सुहाई।
सावन की सुस्वादु मिठाई।।
मधुमक्खी का छत्ता लगता।
खाने में भी रुचिकर जमता।।
भैया ने भी रुचि से खाई।
सावन की सुस्वादु मिठाई।।
मुख में दाँत नहीं दादी के।
घेवर नर्म खा रही रुचि से।।
बाबा जी को भी अति भाई।
सावन की सुस्वादु मिठाई।।
मैदा चीनी से बनती है।
खूब कढ़ाई में छनती है।।
कौन न चाहे लोग – लुगाई।
सावन की सुस्वादु मिठाई।।
रबड़ी किशमिश चेरी डालें।
सुंदर मीठी उसे बना लें।।
‘शुभम्’ करें घेवर – कविताई।
सावन की सुस्वादु मिठाई।।
— डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम्’