गीत/नवगीत

कल फिर मिलेंगे

हो सका, तो हम,कल फिर मिलेंगे
अपनी कहेंगे तो,कुछ उनकी सुनेंगे
जिंदगी में फिर से, नये रंग भरेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

झटका ज़रूर, हम सबको, लगा है
नियमों के, खेल में, मेडल फंसा है
दिल न,करो छोटा,इससे उबर लेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

आंखें तो हम, सबकी ही, नम हैं
सबके अपने,अलग-अलग, ग़म हैं
भावनाओं के ज्वार, निर्बाध बहेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

पल भर में सब, उम्मीद, टूट जाती
सालों की मेहनत, न रंग, ला पाती
हौंसले, फिर भी, हम, न टूटने देंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

जीत हार, जीवन का,अहम अंग है
आपकी हार से, हर कोई, दंग है
आपके संघर्ष , नये किस्से, गढ़ेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

कभी कभी किस्मत, रुठ जाती है
जीत भी, हार का, मुंह दिखाती है
सिलसिले, जीवन के, यूं ही चलेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

प्रयासों में आपके, कमी नही थी
दांव पेंचों, की गति, थमी नही थी
टेढ़े-मेढ़े रस्तों पर, फिर से चलेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

किसको पता कल, क्या होनेवाला
कौन हंसने और, कौन रोने वाला
जीवन के, काफिले, यूं ही चलेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

जीवन के काफिले, यूं ही चलेंगे
हो सका,तो हम,कल फिर मिलेंगे।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई