कविता

महिषासुरमर्दिनी बनो

दरिंदगी उफान पर हैं,

दुष्कृत्य चरम पर हैं,

देवी तुल्य जिसे मानते,

लूटती नारी अस्मिता हैं।।

मां, बेटी, बहन, सजनी,

सुमधुर, जीवन रागिनी,

जीवन चक्र की वह धुरी,

ममतामयी सुहासिनी।।

रहें सुरक्षित बेटियां हमारी ,

दोषियों, कटे गर्दन तुम्हारी,

कठोरतम सजा का प्रावधान,

मां दुर्गा, शक्तिशाली हैं नारी।।

छटपटाती न रहें बेटियां,

खिलती रहें मासुम कलियां,

अन्यायी को कुचल देना हैं,

मिटाओ दानवी, पशु-प्रवृत्तियां।।

हाथो में थामो हाथ, लढो,

शरारती तत्वों को मिटा, बढो,

रण चंडिनी, महिषासुरमर्दिनी, 

दुर्जन संहारणी, अन्याय से लढो।।

महिषासुरमर्दिनी बनो

दरिंदगी उफान पर हैं,

दुष्कृत्य चरम पर हैं,

देवी तुल्य जिसे मानते,

लूटती नारी अस्मिता हैं।।

मां, बेटी, बहन, सजनी,

सुमधुर, जीवन रागिनी,

जीवन चक्र की वह धुरी,

ममतामयी सुहासिनी।।

रहें सुरक्षित बेटियां हमारी ,

दोषियों, कटे गर्दन तुम्हारी,

कठोरतम सजा का प्रावधान,

मां दुर्गा, शक्तिशाली हैं नारी।।

छटपटाती न रहें बेटियां,

खिलती रहें मासुम कलियां,

अन्यायी को कुचल देना हैं,

मिटाओ दानवी, पशु-प्रवृत्तियां।।

हाथो में थामो हाथ, लढो,

शरारती तत्वों को मिटा, बढो,

रण चंडिनी, महिषासुरमर्दिनी, 

दुर्जन संहारणी, अन्याय से लढो।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८