लघुकथा

भूख़

रास्ते पर चल रही महिला की सोने की चेन खींचकर एक हट्टा-कट्टा बदमाश को पकड़ने के लिए पुलिस कांस्टेबल ने उसका पीछा किया। वह बदमाश सड़क पार करके तंग गली में घुस गया। लगातार उसका पीछा करते-करते कांस्टेबल थक गया, पर बदमाश उसके हाथ नहीं आया। वह पसीने से लथपथ हो गया। इतने में गली के नुक्कड़ पर झुग्गी से एक आदमी निकला। नुक्कड़ पर उसने लगड़ी मारी। बदमाश नीचे गिर गया। गिरते ही उस बदमाश को धर दबोचा और उसे पुलिस के हवाले कर दिया। सबको यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि एक दुबले-पतले इन्सान ने हट्टे-कट्टे बदमाश को पकड़ लिया, जिसे पुलिस नहीं पकड़ सकी। सब तालियाँ बजाने लगे। महिला ने उसे आशीर्वाद दिया। जब वह अपनी झुग्गी में पहुँचा तो उसकी पत्नी ने कहा, “आपको डर नहीं लगता?”
उसने अपनी झुग्गी में औंधे पड़े बर्तनों को देखकर उत्तर दिया, “मुझे किसी से डर नहीं लगता सिवाय एक चीज के – भूख़।”

— डाॅ अनीता पंडा ‘अन्वी’

डॉ. अनीता पंडा

सीनियर फैलो, आई.सी.एस.एस.आर., दिल्ली, अतिथि प्रवक्ता, मार्टिन लूथर क्रिश्चियन विश्वविद्यालय,शिलांग वरिष्ठ लेखिका एवं कवियत्री। कार्यक्रम का संचालन दूरदर्शन मेघालय एवं आकाशवाणी पूर्वोत्तर सेवा शिलांग C/O M.K.TECH, SAMSUNG CAFÉ, BAWRI MANSSION DHANKHETI, SHILLONG – 793001  MEGHALAYA [email protected]