शहीदों की कहानी, सुनो मेरी जुबानी
शहीदों की कहानी, सुनो मेरी जुबानी।
देश के खातिर जिसने, दे दीअपनी जिंदगानी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी।
शहीदों की ……………..
संघर्षों से नहीं जिसने, कभी किनारा किया था।
इन्कलाव का सुनो, जिसने नारा दिया था।
वन्दे मातरम,वन्दे मातरम, कह दे गए अपनी कुर्बानी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी।
शहीदों की…………….
मातृभूमि के रज से जिसने, माथे तिलक लगाया।
फाँसी के फंदे को जिसने, हँस कर गले लगाया।
देश को आजाद कराने की, जिसने मन में थी ठानी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी।
शहीदों की ……………….
सिर पर कफन बाँधे देखो, निकल पड़े थे वीर बलिदानी।
आजादी की लड़ाई में, कूद पड़े थे वीर सेनानी।
गुलामी की बेड़ियाँ तोड़ने की, जिसने मन में थी ठानी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी।
शहीदों की ………………..
इनके अटल इरादें देख फिरंगियों का रोम-रोम थर्राया ।
भारत माँ के वीर शहीदों ने, भारत का मान बढ़ाया।
अपनी कुर्बानी देकर देखो, दे दी हमें आजादी।
आओ बच्चों तुम्हें सुनाए, उनकी अमर कहानी।
शहीदों की………………
— कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”