कविता

जय हिंद जय भारत !

भाल चमकता स्वर्ण मुकुट हिमालय जिसका,
बहती पावन निर्मल गंगा-यमुना नदियों की धारा है,
हम शीश नहीं झुकने देंगे कभी भी मातृभूमि का,
प्राणों से प्यारा गौरवशाली देश भारत वर्ष हमारा है ।

अनेक महापुरुषों की शौर्य पराक्रमी वीरगाथाओं से,
सुसज्जित स्वर्णिम अलंकृत इतिहास हमारा है,
दुश्मनों को धूल चटाई हर वक्त एकजुट हो हमने,
तिरंगा हमें अपनी जान से भी ज्यादा प्यारा है ।

हम शांति, अहिंसा, सत्य धर्म के पथ पर चलते,
हर दिल में जहां वसुधैव कुटुंबकम भाव बसता है,
मातृभूमि के अखंड अनन्य मातृभक्त सेवक हम,
बच्चा-बच्चा प्रेम से जय हिंद जय भारत कहता है ।

अराजकता, आतंकवाद, अप्रियता जो देश में फैलाएं,
उन अपराधियों को यहां एक पल भी टिकने न देंगे,
स्वर्ग से भी सुंदर खुबसुरत समृद्धशाली देश हमारा,
उन्नति में कर सहयोग सदा हम अपना फर्ज निभाएंगे ।

लहर-लहर लहराता आसमान में ऊंचा ध्वज तिरंगा,
हमारी आन, बान, शान, मान,अभिमान, स्वाभिमान है,
रण में बलिदान देने वाले बलशाली रक्षक वीर सिपाही
तूझे हर देशवासी “आनंद” से करता कोटि-कोटि प्रणाम है ।

— मोनिका डागा “आनंद”

मोनिका डागा 'आनंद'

चेन्नई, तमिलनाडु