कविता

राखीपूनम का त्यौहार 

हरियाला झूमता आया सावन,

स्नेहिल रिमझिम में भीगा मन,

राखीपूनम का आया त्यौहार,  

हर्षित हृदय, पुलकित भाईबहन।।

निर्मल नेह की पावन धारा,

शुभ, मंगल भाव उजियारा,

भाल तिलक, बांधे प्रेम से,

भाईबहन का रिश्ता प्यारा।।

रक्षासूत्र में कुमकुम, रोली,

प्रभु से मांगे पीहर खुशहाली,

मत भेद न हो, मन भेद न हो,

राखी संग आस किरणें उजली।।

खोलो खट्टा-मीठा स्मृति पिटारा,

रक्षाबंधन पर्व, बंधन लगे न्यारा,

दिल से दे बहना अशेष दुआएं,

धन-वैभव से भरे पीहर प्यारा।।

हरियाला झूमता आया सावन,

स्नेहिल रिमझिम में भीगा मन,

राखीपूनम का आया त्यौहार,  

हर्षित हृदय, पुलकित भाईबहन।।

निर्मल नेह की पावन धारा,

शुभ, मंगल भाव उजियारा,

भाल तिलक, बांधे प्रेम से,

भाईबहन का रिश्ता प्यारा।।

रक्षासूत्र में कुमकुम, रोली,

प्रभु से मांगे पीहर खुशहाली,

मत भेद न हो, मन भेद न हो,

राखी संग आस किरणें उजली।।

खोलो खट्टा-मीठा स्मृति पिटारा,

रक्षाबंधन पर्व, बंधन लगे न्यारा,

दिल से दे बहना अशेष दुआएं,

धन-वैभव से भरे पीहर प्यारा।।

*चंचल जैन

मुलुंड,मुंबई ४०००७८